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Friday, December 2, 2016

कविता:-लिखने की तमन्ना

कविता:-लिखने की तमन्ना 

लेखक:-युधिष्ठिर महतो(कुमार यूडी) 

आज लिखने की तमन्ना लिए, 

बैठा हूँ कागज कलम लिए, 

मन आज खाली सा हैं, 

दिल कुछ टुटा सा हैं, 

आज लिखने की तमन्ना लिए,

 बैठा हूँ कागज कलम लिए।।1।।

 

 

कभी सोचता हूँ, 

इसके बारे में लिखूँ, 

तो कभी सोचता हूँ, 

उसके बारें में लिखूं, 

पर गलत क्या हैं, 

जो मैं लिखूँ, 

अगर सब सही हैं, 

तो मैं क्यों लिखूँ, 

आज लिखने की आस लिए, 

बैठा हूँ कागज कलम लिए।।2।। 

 

क्या मैं आज थक गया हूँ, 

जो लिखना छोड़ दू, 

या कल थक जाऊँगा, 

जो लिखना छोड़ दूंगा, 

कल का तो मुझे पता नहीं, 

पर आज, 

मैं लिखूंगा।।3।। 

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