गरीब की बेटी होना,क्या कोई पाप हैं।हिन्दी कविता एक बार जरूर पढें।
गरीब की बेटी होना,क्या कोई पाप हैं,
फिर करते हैं क्यों घृणा,हमसे आप हैं,
हम भी तो इंसान हैं,हम में भी तो जान हैं,
फिर क्यों हमारा,शौषण होता आया हैं,
यौवन के आते ही,दुल्हें आने लगते हैं,
फिर हमारी शादी करा दी जाती हैं,
और अगर न हो दहेज़,
तो बेटी घर में ही रह जाती हैं,
शादी हो जाने के बाद,
ससुराल चली जाती हूँ,
नये नये लोगों के साथ,शुरू में घुल मिल जाती हूँ,
पर कुछ सालों के बाद,वहाँ भी करते हैं घृणा,
फिर हमें सहनी पड़ती हैं पीड़ा,
फिर एक दिन उसी घर मे,
सभी का अत्याचार सहते सहते,दम तोड़ देती हूँ,
फिर हमें सभी यूँ ही,भूल जाते हैं,
कोई हमें न याद करते हैं,
न ही हमारे बारे में कोई पूछते हैं,
गरीब की बेटी होना,क्या कोई पाप हैं,
फिर क्यों करते हैं घृणा,हमसे आप हैं।।
★★★★★ युधिष्ठिर महतो(कुमार यूडी)
1 comments:
रद्दी को भी
लाइब्रेरी बना लेते हैं
बस्ती में रहने वालो की
कोई स्कूल नहीं हुआ करती...
Mou💕
#अल्फ़ाज़े_बयां https://t.co/CG7txif40N
Post a Comment