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Sunday, April 23, 2017

युवा बेरोजगारी के लिए ज़िम्मेदार कौन हैं? सरकार, समाज या शिक्षा।

""युवा बेरोजगारी के लिए ज़िम्मेदार कौन सरकार समाज या शिक्षा""आज के आधुनिक समाज में युवा बेरोजगारी एक बड़ी समस्या हैं।रोटी कपड़ा और मकान के जुगाड़ के लिए रोजगार का होना बहुत ही जरूरी हैं।जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही हैं,बेरोजगारी की समस्या आम बात होती जा रही हैं।लेकिन,सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि आखिर युवा बेरोजगारी के लिए ज़िम्मेदार कौन हैं?सरकार,समाज या शिक्षा।जो भी हो,पर यह समस्या बड़ा रूप ले।उससे पहले व्यवस्था में बदलाव लाना होगा।आमतौर पर सबसे पहला सवाल शिक्षा को लेकर ही उठता हैं।क्या हमारे सरकारी स्कूलों,कॉलेजों और  विश्वविद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं।या कुछ बदलाव सख्ती से लाने की जरूरत हैं।निजी शिक्षण संस्थानों की तो अभी बात ही छोड़ दीजिए।निजी शिक्षण संस्थान वालें शिक्षा की दुकान चलाते हैं।छात्रों से इतनी मोटी रकम वसूली जाती हैं।जिससे निजी शिक्षण संस्थान वालों की दिन दुगुनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहें हैं।हर साल लाखों युवा सरकारी व निजी स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय से पढ़ कर निकल रहें हैं।पर,उनमें से कितने रोजगार पातें हैं।अधिकतर छात्रों के साथ यही होता हैं कि वे जिस विषय को चुनकर पढ़ाई किये हैं।वे उन क्षेत्रों में रोजगार न कर।कुछ अलग ही कर रहें होते हैं।जैसे मान लीजिये अगर किसी ने इंजिनीरिंग की पढ़ाई की।पर,बैंक में आकर नौकरी कर रहें हैं।अब जिसनें बैंकिंग के लिए पढ़ाई की हैं।वो क्या करेंगे।क्षेत्र की अदला बदली करने से प्रतियोगिता बढ़ जाती हैं।अब जरा सोचिए,अगर बैंकिंग के लिए सिर्फ वही युवा भर सकता था।जो बैंकिंग की पढ़ाई की या यूँ कहे कि कॉमर्स से पढ़ाई की हो।इस तरह से क्या होता कि एक क्षेत्र में एक ही तरह के कैंडिडेट होने से प्रतियोगिता कम होती।अब जरा ये सोचिये कि अगर रेलवे की परीक्षा में दसवीं इंटर ग्रेजुएशन यानी की एक तरह से कहे कि सभी तरह के लोगों ने फॉर्म भर दिया।अब इससे क्या होगा?प्रतियोगिता में फाइट में भीड़ होगी।अब जो नौकरी दसवीं पास के लिए होनी चाहिए थी।वो मालूम चलेगा अधिक शिक्षा योग्यता वालों ने ले लिया।तो,यह एक बड़ी समस्या हैं।जिसमें सरकार को एक निर्धारण करना चाहिए कि हर क्षेत्र की नौकरी के लिए सिर्फ उसी केटेगरी के लोग फॉर्म भर सकते हैं।दूसरी बात आती हैं शिक्षा व्यवस्था की।हमारे सरकारी स्कूल कॉलेज व विश्विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था का हाल सभी जानते हैं।जिस विषय को लेकर लड़के लड़कियाँ पढ़ाई करती हैं।वही आगे चलकर बेकार हो जाती हैं।शिक्षा व्यवस्था में कुछ ऐसा परिवर्तन आना चाहिए कि जो जिस विषय से पढ़े।स्कूल,कॉलेज व यूनिवर्सिटी से निकलकर वह उसी क्षेत्र में रोजगार को प्राप्त करें।सरकार को इसके लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।अब कॉलेज में पढ़ाई हो रही हैं या नहीं।शिक्षक स्कूल आते हैं या नहीं।इन सब पर भी कड़ी नजर होनी चाहिए।हर विभाग में आज आलसीपन आ चुका हैं।जब तक किसी को ऊपर से दबाव नहीं पड़ता हैं।कोई एक्टिव होता ही नहीं हैं।हमारा समाज भी बहुत हद तक ज़िम्मेदार हैं।आज के समाज मे एक बहुत बड़ी धरना फैली हैं।वह हैं ईर्ष्या की।लोग एक दूसरे से बहुत ईर्ष्या करते हैं।कोई कहता हैं मेरे बेटे यह काम करते हैं।तो कोई कहता हैं कि अरे यह काम करता हैं।ठीक नहीं हैं।काम कभी भी छोटा बड़ा नहीं होता हैं।बस सही होना चाहिए।जिससे मेहनत और ईमानदारी से पैसा कमाया जा सके ।घर परिवार सुख शांति से चलें।साथ ही स्कूल कॉलेज लाइफ में अभिभावक ज़रा भी ध्यान नहीं देते हैं।जिससे लड़के लड़कियाँ गलत रास्तों में भटक जाते हैं।जब गलत राह चुनते हैं।तो फिर भविष्य बर्बाद ही होता हैं।बेरोजगारी का निदान समाज शिक्षा और सरकार सभी के सहयोग से ही हो सकता हैं।

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