किन्नरों की सबसे बड़ी बस्ती कहाँ हैं?जानने के लिए पूरा पढ़े।
तमिलनाडु के विल्लुपुरम स्थित कुवागम गांव को किन्नरों की सबसे बड़ी बस्ती के रूप में जाना जाता है। किन्नरों के देवता अरावन का सबसे बड़ा मंदिर कुठंडावर इसी गांव में है। किन्नरों का सालाना फेस्टिवल भी यहीं होता है, जिसे कवर करने के लिए देश-दुनिया केफोटोग्राफर्स आते हैं। लेकिन एक फोटोग्राफर ने इस गांव के किन्नरों की डेली लाइफ को अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश की है। सुबह से शाम तक ऐसा होता है रूटीन ...
किन्नरों के डेली रूटीन को thelifeofhijra ब्लॉग पर फोटोग्राफर ने अपने फोटोज के जरिए दिखाया है। इसके मुताबिक यहां के ज्यादातर किन्नर 6 बजे तक उठ जाते हैं। 10 बजे तक नाश्ता करने के बाद ये काम पर निकल जाते हैं। यहां के किन्नरों की अधिकांश कमाई ट्रेनों में गाने के जरिए होती है। इसके अलावा चेन्नई के दुकानदारों से वसूली कर ये दिनभर में ढाई सौ से बारह सौ रुपए तक कमा लेते हैं। शाम को साढ़े पांच तक ये वापस ट्रेन पकड़कर बस्ती लौट आते हैं। रात को 10 बजे तक खाना खाकर साढ़े 11 बजे तक पूरी बस्ती के किन्नर सो जाते हैं।
किन्नरों से जुड़े कुछ विशेष बातें..........
- किन्नरों की साल में एक दिन शादी होती है। यह शादी भी भगवान अरावन से होती है। भगवान अरावन की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है। अगले ही दिन किन्नर श्रृंगार उतारकर विधवा की तरह शोक मनाते हैं और सफेद कपड़े पहन लेते हैं।
- किन्नर की शव यात्रा रात के वक्त निकाली जाती है। किसी गैर-किन्नर को अंतिम संस्कार देखने की इजाजत नहीं होती। माना जाता है कि अगर अंतिम संस्कार को कोई गैर-किन्नर देख लेेगा तो मरने वाला किन्नर अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा।
- किन्नर बहुचरा माता की पूजा कर उनसे माफी मांगते हैं और दुआ मांगते हैं कि अगले जन्म में उन्हें किन्नर की तरह जन्म ना लेना पड़े।
- किन्नरों की ज्यादातर परम्पराएं हिन्दू धर्म के मुताबिक निभाई जाती हैं, लेकिन अधिकांश गुरु मुस्लिम होते हैं।
- इतिहास में कुछ किन्नरों के जंग लड़ने का भी जिक्र है। इनमें से एक थे मलिक कफूर। उन्होंने दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के लिए दक्कन में जंग जीती थी।
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