आखिर कब तक सड़कों पर भीख माँग कर गुज़ारा करेंगें असहाय लाचार और वृद्ध जन।
जब कभी भी आप घर से बाहर निकलते हैं।तो,हर जगह सड़क के किनारे,रेलवे स्टेशन प्लेटफॉर्म सार्वजनिक जगहों पर असहाय बेबस लाचार और वृद्ध लोग भीख माँगते हुए मिल ही आपको मिल ही जातें हैं।भीख माँगना मजबूरी हैं और बहुतों के लिए जीने का एक रोज़गार।जो लोग शरीर से दुर्बल कमजोर और असहाय होते हैं।उनके लिए यह मजबूरी हैं।पर,उन लोगों के लिए एक रोज़गार हैं।जो शरीर से स्वस्थ हट्टे-कट्टे होते हैं।बात कोई भी हो,भीख माँगते हुए असहाय लोगों के लिए हर जिले स्तर पर सरकारी सुविधा मुहैया करानी चाहिए।ताकि ये आराम से जीवन जी सकें।साथ जो लोग जान बूझकर भीख माँगते हैं।उनके खिलाफ कार्रवाई कर,उन्हें काम काज पर ध्यान देने के निर्देश जारी किए जाए।या जिन्हें काम नहीं मिल रहा हो।उन्हें कम से कम मनरेगा के तहत कोई काम मिलनी चाहिए।जो भी हो,पर सरकार को भीख माँगने वालों से सभी सार्वजनिक जगहों को स्वच्छ और साफ रखने के प्रति सोचना चाहिए।खास कर वृद्ध असमर्थ और अपंग लोगों के लिए जिला स्तर पर सुचारू रूप से कुछ व्यवस्था करनी चाहिए।
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