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Wednesday, April 19, 2017

झारखण्ड में फ़िल्म संगीत विकास के लिए फ़िल्म नीति पर्याप्त नही

""झारखण्ड में फ़िल्म संगीत विकास के लिए फ़िल्म नीति पर्याप्त नहीं""झारखण्ड की खनिज संपदा, कला संस्कृति और यहाँ का पर्यावरण  की चर्चा हर कोई करता हैं।देश की कोयला राजधानी भी यहीं हैं।झारखण्ड सरकार द्वारा झारखण्ड फ़िल्म नीति को लागू करना एक बहुत ही सराहनीय काम हैं।साथ ही झारखण्ड में बनने वाली फिल्मों की समीक्षा के लिए फ़िल्म तकनीकी सलाहकार समिति का गठन।यह भी बहुत ही सराहनीय काम हैं।वैसे तो झारखण्ड के गाँव गाँव में कलाकार बसते हैं।ये जन्म से ही सीखे कलाकार जबरदस्त कला का प्रदर्शन करते हैं।लेकिन,बिना सीखे कभी भी प्रतिभा को बेहतर नहीं बनाया जा सकता हैं।झारखण्ड में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में संगीत और फिल्मों का बनना दशकों पहले शुरू हो चुका था।कई ऐसे कलाकार उभरें।जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी कला को संगीत फ़िल्म आदि के माध्यम से प्रदर्शित किया।झारखण्ड में संगीत फ़िल्म को बढ़ावा देने से कई कलाकारों को रोजगार मिलेगा।बशर्ते सरकार की पहल सुचारू रूप से संचालित हो।फ़िल्म नीति का लागू होना और फ़िल्म समिति का गठन किया जाना।यह एक बहुत ही सम्मानजनक कदम हैं।लेकिन,अगर सच में सरकार झारखण्ड में फ़िल्म संगीत का विकास करना चाहती हैं।अगर सच में सरकार यहाँ के कलाकारों के लिए संभावनायें पैदा करना चाहती हैं।तो,इसके अलावे भी सरकार को और कई काम करने चाहिए।सबसे पहले झारखण्ड के प्रमुख जिलों में फ़िल्म सिटी विकसित होनी  चाहिए।सभी प्रमुख ज़िलों में सुचारू रूप से संचालित सरकारी स्कूल कॉलेज होने चाहिए।जो विशेष रूप से फ़िल्म और संगीत से जुड़ी चीजों का प्रशिक्षण युवाओं को दे।इसके अलावे भी एक सरकारी संस्था होनी चाहिए।जो यहाँ के सभी फ़िल्म संगीत से जुड़े कलाकारों को आर्टिस्ट कॉर्ड मुहैया करायें।जिसमें कुछ विशेष नियम व शर्ते भी यहाँ के कलाकारों और फ़िल्म बनाने वालों के लिए बनानी चाहिए।क्योंकि,अभी की दशा जो हैं।यहाँ के कलाकारों और फ़िल्म संगीत उद्योग की उससे सभी परिचित हैं।नियम व शर्ते नहीं होने की वजह से जो भी यहाँ फ़िल्म व म्यूजिक एलबम बनाने वाले लोग हैं।उन्हीं में से कुछ ठग कलाकारों से ठगी करते हैं।अभी तो कई ऐसी संस्थाएं भी हो गयी हैं।जो कलाकारों से सिर्फ और सिर्फ मेम्बरशिप के नाम पर पैसे की उगाही कर रही हैं।यहाँ के कलाकारों की ज़िंदगी बहुत ही दयनीय स्तिथि में बीत रही हैं।अगर काम हैं,तो पैसा नहीं और कभी काम पैसे की बात न होकर सिर्फ शौषण होता हैं।हालाँकि, झारखण्ड में फ़िल्म और संगीत के सफर पर अगर एक नज़र दौड़ायें जाये।तो,मालूम चलता हैं कि कुछ लोग यहाँ एक प्रयास किया।ताकि,एक उद्योग विकसित हो।पर,बिना सरकार,बिजनेसमैन के सहयोग से झारखण्ड में फ़िल्म और संगीत उद्योग स्थापित कर पाना संभव नहीं हैं।साथ एक बेहतर उद्योग के लिए नियम शर्तो का होना अनिवार्य हैं।ताकि,यहाँ ठगी और नकारात्मक कार्यो को रोका जा सके।नहीं तो फिर यहाँ हर कोई फिल्म बनाता हैं।रोज फिल्में भी बनती हैं।पर, धरातल स्तर पर कुछ नहीं हो पा रहा हैं।संभवतः कलाकारों में भी कुछ कमी हैं।पर,सभी चीजें सुचारू रूप से सरकारी तौर पर चलाना होगा।

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