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Wednesday, April 12, 2017

बॉलीवुड अभिनेता अभय देओल ने रंगभेद को लेकर छेड़ी एक जंग,बॉलीवुड के कई बड़े कलाकारों पर साधा निशाना।

बॉलीवुड अभिनेता अभय देओल  ने रंगभेद को लेकर चल रही बहस को सीधे सीधे बॉलीवुड के कई बड़े  सेलिब्रिटी पर अपना बयान दिया है। एक पॉलिटिशियन के कमेंट से शुरू हुई यह बहस काफी आगे बढ़ चुकी हैं। इस बहस को अभय ने भी एक मोड़ देने का काम किया हैं।अभय ने इस मुद्दे को उन टेलीविज़न कमर्शियल्स से जोड़ दिया है। जिनमें बॉलीवुड सेबेब्रिटीज़ गोरा बनने के नुस्ख़े बताते हुए दिखते हैं।साथ ही मोटी रकम भी कमाते हैं।

अभय ने इस चर्चा  को अपने फेसबुक के जरिये ऐसे विज्ञापनों को पोस्ट किया है। जिनमें एक फेयरनेस क्रीम से गोरा बनने के दावे किए जाते हैं। अभय के कमेंट्स की ख़ूबसूरती ये है कि उन्होंने अपनी बात व्यंगात्मक लहज़े में बिना किसी पर सीधे कमेंट करते हुए कही है। अभय के इन कमेंट्स को बीजेपी सांसद तरूण विजय के एक बयान से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि अभय ने किसी का नाम नहीं लिया है। पिछले हफ़्ते तरूण विजय ने अल जज़ीरा चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था- "अगर हम रेसिस्ट (नस्लवादी) होते, तो हमारे यहां पूरा दक्षिण भारत कैसे होता... हम उनके साथ कैसे रहते, अगर हम रेसिस्ट होते। हमारे चारों तरफ सांवले लोग रहते हैं।''

अभय ने फेयरनेस क्रीम केंपेंस को साझा करते हुए लिखा है- ''हम रेसिस्ट देश नहीं हैं। मैं इसे साबित करूंगा। नीचे दिए गए चित्र में जॉन के हाथ में एक कार्ड है, जिसमें सफ़ेद से डार्क तक के शेड्स हैं। आप देख सकते हैं, इसमें गहरे रंग की त्वचा का वादा भी किया गया है, अगर कार्ड को बाएं से दाईं तरफ पढ़ें। वो आपको दाएं से बाएं जाने के लिए नहीं कह रहा। यहां तक कि ट्यूब पर लिखा गया- इंटेंसिव फेयरनेस मॉस्च्यूराइज़र। इसका मतलब सिर्फ़ इतना है कि जो लोग इसे इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए ये फेयर है।'

इसी तरह अभय ने इलियाना डिक्रूज़, विद्या बालन, शाहिद कपूर, दीपिका पादुकोण, सिद्धार्थ मल्होत्रा, सोनम कपूर और शाह रूख़ ख़ान की तस्वीरों वाले विज्ञापन शेयर करते हुए उन्हें व्यंग के साथ जस्टिफाई किया है।

अभय ने इसके बाद लिखा है कि हमें ऐसे आइडियाज़ को ठुकराना होगा, जो किसी एक रंग को दूसरे से बेहतर बताते हैं। दुर्भाग्य की बात ये है, शादी-विवाह के विज्ञापन भी इस विचार और मानसिकता को बढ़ावा देते हैं। अभय ने कहा कि किसी समुदाय के विचारों में बदलाव लाना मुश्किल है, मगर अपने परिवार से तो इस बदलाव की शुरुआत कर सकते हैं।

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