मेरे जुनून ने ही मुझे अभियंता से अभिनेता बनाया-अमरनाथ कुमार
झारखंड संगीत फ़िल्म संसार धीरे धीरे विकसित हो रहा हैं।कलाकारों की सक्रियता हमेशा से रही हैं।अमरनाथ भी उन्हीं युवा कलाकारों में से एक हैं।स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही नाटक में रुचि रही।कई नाटकों में स्कूल के दिनों में ही अभिनय किया।पर, उस समय अधिकतर ध्यान पढ़ाई की तरफ ही ज़्यादा रहा।समय के अनुसार बदलाव आता गया।जब पढ़ाई लिखाई पूरी हुई।तो,फिर नौकरी करने लगे।लेकिन,एक बात अमरनाथ के मन हमेशा से असंतोषजनक बनी रही।वह थी अभिनय के प्रति रुझान।जैसे जैसे बड़े हुए पढ़ाई लिखाई के साथ साथ अभिनय के तरफ भी आकर्षण बढ़ता गया।जब तक हो सकता था नौकरी करते रहें।लेकिन,जब मन और नहीं माना तो नौकरी छोड़ पूरी तरह से अभिनय से जुड़ गए।शुरुआत नाटकों से हुई।असगर वज़ाहत द्वारा लिखित व संजय लाल द्वारा निर्देशित लोकप्रिय नाटक "जिस लाहौर नई देखया वो जम्याई नई"से नाटकों की दुनिया में शुरुआत की।इस नाटक की सफलता का पता इसी बात से चलता हैं कि इस नाटक के बाद कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय नाटकों में अमरनाथ को काम करने का मौका मिला।इसके बाद तो फिर एक्सपोज़र नाट्य संस्था से जुड़े।कई लोकप्रिय नाटकों जैसे काल कोठरी,अभिज्ञान शांकुतलम,कैनवस की मौत,शिव गाथा,कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी आदि में काम किया।इसके अलावे कई बॉलीवुड फिल्मो में छोटे छोटे रोल में काम भी किया हैं।जिनमें से अजब सिंह की गजब कहानी एक हैं।बाकी अन्य फिल्मे प्रोसेस में लगी हैं।जो जल्द ही रिलीज की जाएगी।अपने करियर से जुड़ी बातचीत के बाद अमरनाथ ने झारखंड में संभावित फ़िल्म निर्माण के विकास के बारे में भी बात कही।इनका कहना की झारखंड में कई संभावनाएं हैं।यहाँ का लोकेशन प्राकृतिक रूप से ही इतना सुंदर हैं कि हर कोई यहाँ फ़िल्म की शूटिंग करता ही हैं।युवा वर्ग जो अभी फिल्मों में काम करना चाहते हैं।वे पहले बारीकी से सीखें।क्योंकि सीखे रहने से आप कही भी आसानी से काम कर सकते हो।
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