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Friday, November 25, 2016

अभिनय मेरे जीने की उम्मीद हैं-सागर कुमार(सिन्टू)

""अभिनय मेरे लिए जीने की एक उम्मीद हैं-सागर कुमार (सिन्टू)"" साक्षात्कार युधिष्ठिर महतो (कुमार यूडी ) के द्वारा स्कैनर इंडिया और इंडियन  गार्ड के लिए।
सागर कुमार  सिनेमा जगत के जाने माने चेहरों में से एक हैं।कई फिल्में करने के बावजूद इनका व्यवहार एक सेलिब्रिटी की तरह न होकर बड़े ही साधारण हैं।शुरुआत के दिनों में रंगमंच से जुड़कर काफी काम किये।जिसका अनुभव बहुत काम आया।इनके पिता बीसीसीएल में काम करते थे।इस कारण इनकी पढाई लिखाई झारखण्ड में ही हुई।फिर यहीं के हो गए।जब सागर स्कूल में थे।तभी इनके एक बड़े ही प्रिय मित्र ओमप्रकाश के कारण ही सागर का रुझान अभिनय की ओर हुआ।उन दिनों कुछ ऐसा हुआ कि ओमप्रकाश रंगमंच से जुड़े हुए थे।इस कारण कई दिनों अभ्यास के लिए बाहर चले जाते थे।जब सागर की मुलाक़ात ओमप्रकाश से नहीं होने लगी।तो वे सोचने लगे कि आखिर ओमप्रकाश करता किया।एक दिन संयोगवश बहुत दिनों के बाद  सागर की मुलाक़ात ओमप्रकाश से हुई।उसने इस विषय में पूछा कि ओमप्रकाश तुम इतने दिनों मिले नहीं।क्या करते हो?जो इतना व्यस्त हो जाते हो।ओमप्रकाश ने साफ़ शब्दों में कहा-अरें मैं रंगमंच से जुड़ा हूँ।तो रोज़ाना अभ्यास के लिए जाया करता हूँ।सागर भी उस दिन के बाद से रंगमंच से जुड़ गए।फिर कई नामी थिएटर ग्रुप जैसे ताज़ ग्रुप जयपुर,उषा गाँगुली कोलकाता के साथ जुड़े रहे।इन सबसे काफी कुछ सीखे।जिससे आगे चलकर फिल्म में भी काम करने की शुरुआत हुई।2004 से 2008 तक सवाँ सेर गेहूँ,महाभोज,लोक कथा,काशिनामा,गुड बाय स्वामी इत्यादि जैसे कई बड़े नाटक किये।आज भी सागर चाहते हैं कि वे थिएटर से जुड़े रहें।ये एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने से बावजूद अपनी प्रतिभा और मेहनत से कई फिल्में भी कर चुके हैं।परिवार और मित्रों का भी काफी सहयोग रहा हैं।इनकी पहली फिल्म प्रजानीति-दि पब्लिक रूल हैं।जो खोरठा और हिंदी में थी।इसके बाद सत्या,प्यार के रंग लाल होला रहीं।अभी हाल ही मैं इनकी फिल्म मिलन अभी आधा अधूरा बा रिलीज़ होने वाली हैं।जिसके राइटर डायरेक्टर मोहम्मद हबीब और प्रोड्यूसर अजिताभ तिवारी हैं।अब तक इन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं में ही ज़्यादा फिल्में की हैं।लेकिन,इनका मानना हैं कि भाषा एक कलाकार के लिए कोई मायने नहीं रखता हैं।आगे अगर मौका मिला तो हिंदी फिल्में भी जरूर करेंगे।झारखण्ड सरकार को इन्होंने धन्यवाद दिया हैं।झारखण्ड में फिल्म तकनिकी सलाहकार समिति बनाकर सरकार ने एक बहुत ही बढ़िया काम किया हैं।इससे यहाँ के कलाकारों को बहुत उम्मीद हैं।लेकिन,खोरठा भाषी कलाकारों को जगह न देना।यह खोरठा भाषियों का अपमान हैं।यहाँ के क्षेत्रीय कलाकारों को भी मौका देना चाहिए।इसके साथ ही फिल्म और संगीत से जुडी सभी सूचनाएं सरकार कलाकारों तक पहुंचाए।क्योंकि,अभी भी बहुत सारे कलाकारों को फिल्म तकनिकी सलाहकार समिति के बारे ठीक ठाक जानकारी नहीं हैं।हर राज्यों की तरह झारखण्ड में भी टीवी चैनल हो।ताकि यहाँ के कलाकारों को एक माध्यम मिलें।आने वाले समय में इनका कई फिल्म पर काम चल रहा हैं।जैसे ड्राइवर बाबु ईलू ईलू,सावन भादो,नो रिटर्न्स,सेन्द्रा कुछ फिल्में जल्द ही दर्शकों के बीच होगी।युवाओं से इनका कहना हैं कि किसी के भी बहकावे में आये।पहले अच्छे से सीखें।अगर आप कामयाबी चाहते हैं तो शॉर्टकट न अपनाकर मेहनत करें।

1 comments:

Unknown said...

बहुत अच्छे सर। लगे रहीये कामयाबी आप की कदम चूमेगी