झारखण्ड में ही कलाकारों को काम और सम्मान मिले-नासिर खान
""झारखण्ड के कलाकार अपने ही राज्य में सम्मान और काम के लिए ठगे जा रहें हैं-नासिर खान""बचपन से ही संगीत और फिल्म में रूचि रखने वाले नासिर खान संगीत और फिल्म की दुनिया में आज अपनी एक पहचान बना चुके हैं।कई म्यूजिक एल्बम और फिल्म करने के बावजूद इन्हें आज भी एक कमी सी महसूस होती हैं।बिहार खगड़िया जिला से झारखण्ड आये।फिर यहीं के हो गए।शुरू में इनके संगीत गुरु स्व. कन्हाई भगत रहें।1986 ई. से ही लगातार संगीत शिक्षा लेते रहे।1991ई. को बीए संगीत पूरी किये।इसी बीच 1985 ई. इप्टा से भी जुड़े।इप्टा से जुड़कर एक अभिनेता के रूप में काम करते रहें।1988 ई. में एक साल के लिए दिल्ली में सरस्वती फिल्म प्रशिक्षण केंद्र में सीखते रहें।जब दिल्ली से झारखण्ड वापस लौटे।तो बिहार फिल्म कंबाइन्स के नाम से अपने बैनर का निर्माण किये।इसी बैनर से 1991 ई. में क्षेत्रीय कलाकारों के साथ मिलकर सहारा बनायी।जिसका निर्देशन इन्होंने स्वयं किया।इस फिल्म के लेखक व् प्रोड्यूसर ज्ञानरंजन दास थें।इसके बाद मुंबई में 6 महीनों तक वेद शांताजी द्वारा निर्मित फिल्म आमलेट में अभिनेता के रूप में काम किये।परिवार में पिता जी का काफी सहयोग रहा।हर कलाकार की तरह इनके करियर में भी बीच में किन्ही कारणों से विराम लगा।लेकिन,जब गजलीटाँड़ घटना घटी।तो इस पर आधारित फीचर फिल्म इंजोर बनी।पर यह फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई।1999 ई. में सह निर्देशक के रूप में डॉक्यूमेंट्री फिल्म तस्सर सिल्क बनायी।2000 ई. में आकांक्षा टेलीफिल्म के साथ गीतकार के रूप में मेरे पिया,टीवी सीरियल आखिर कब तक,नज़र का जादू,तोहरे पे सबके गुमान,बेरंग सपने आदि में काम किया।इस तरह से इन्होंने कभी गीतकार,संगीतकार,अभिनेता,निर्देशक के रूप में काम किये।लेकुन,इनकी इच्छा एक संगीतकार के रूप में बने रहने की हैं।इनकी ख्वाहिश हैं कि लोग इन्हें सिर्फ संगीतकार के रूप में ही पहचाने।अभी हाल ही में इन्होंने प्रभात राज द्वारा निर्देशित भोजपुरी फिल्म करमवा के लिखल केहू न मिटायी में काम किया हैं।जिसमे इनके गीतों को उदित नारायण,मो. अज़ीज़,इंदु सोनाली,आलोक कुमार,दिव्यानि,शालिनी दुबे ने गाया हैं।इतनी सारी सफलताओं के बावजूद झारखण्ड में इन्हें एक कमी सबसे ज़्यादा खलती हैं कि आखिर क्यों झारखण्ड के कलाकार बाहर काम करने को मजबूर हैं।झारखण्ड की सरकार अगर यहाँ एक ऐसा माहौल बनाने में सहयोग करें।जिससे यहाँ के कलाकार यहीं काम करें।झारखण्ड का अपना टीवी चैनल हो।हर वर्ष कलाकार सम्मान समारोह हो।साथ जो सीखना चाहते हैं।उनके लिए यहीं बेहतर म्यूजिक और फिल्म इंस्टिट्यूट हो।तभी झारखण्ड में फिल्म और संगीत उद्योग का विकास होगा।
0 comments:
Post a Comment