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Sunday, March 12, 2017

पलाश के फूल एक लघुकथा

पलाश के फूल जो झारखण्ड का राजकीय पुष्प हैं।शायद ही कोई ऐसा होगा,जो इसकी सुंदरता से मोहित नहीं होता हैं।हर किसी का मन स्वयं ही खिले पलाश के पुष्प को देखकर मोहित हो ही जाता हैं।लेकिन,इसके पीछे छिपे एक ऐतिहासिक लोक कथा को शायद ही कोई जानता हो।दरअसल बात कुछ ऐसी हैं।एक बहुत ही खूबसूरत राजकुमारी हुआ करती थी।एक दिन राजकुमारी अपने सहेलियों संग जंगल आखेट के लिए गयी।बहुत देर तक जंगल में शिकार करते हुए अचानक राजकुमारी को प्यास लगी।वह अपनी प्यास बुझाने सहेलियों संग जंगल में एक झील के किनारे गये।वहाँ राजकुमारी को एक युवक से प्यार हो गया।वह युवक बिल्कुल राजकुमार सा दिखता था।उसे देखते ही राजकुमारी ऐसे महसूस करने लगी।मानो वह दोनों एक दूसरें को पहले से जानते हो।दोनों के बीच प्यार का आकर्षण बढ़ता गया।लेकिन,दोनों एक न हो सके।किसी दिन अचानक वह युवक गायब हो गया या कहीं चला गया।राजकुमारी पागलों की तरह संपूर्ण जंगल में इधर उधर उस युवक को खोजती रहीं।मगर वह युवक न मिला।जंगल झाड़ नंगे पाँव राजकुमारी विरह वेदना में ढूंढती रही।राजकुमारी के आँखों से आँसू गिर रही थी।उसके हृदय से बस उस युवक के लिए ही पुकार निकल रही थी।कहते हैं कि राजकुमारी के आँसू जहाँ जहाँ गिरें।उन सभी जगहों में पलाश के पेड़ उग गये।जब भी हर वर्ष वसंत का मौसम आता हैं।पेड़ के सारे पत्ते झड़ जाते हैं।फिर पलाश के पेड़ राजकुमारी के आंसुओं से बने लाल पुष्प से लद जाते हैं।शायद जो गया हैं,वह वापस लौट आये और जिससे राजकुमारी की आत्मा को शांति प्राप्त हो।

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