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Wednesday, February 1, 2017

युवाओं का बदलता नजरिया

शीर्षक:-त्यौहार मनाने का युवा अंदाज़
लेखक:- युधिष्ठिर महतो (कुमार यूडी)

आज का आधुनिक दौर प्रोधोगिकी का हैं।समाज में बदलाव बहुत ही तेजी से हो रहे हैं।खास कर युवा वर्ग कई नये बदलाव समाज में ला रहे हैं।चाहे कोई भी क्षेत्र हो।युवाओं की सोच और जीवन जीने का सलीका,हर चीज बदल रही हैं।भारत में पूरे साल त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाए जातें हैं।साल के शुरुआत से त्यौहार मनाने का सिलसिला शुरू हो जाता हैं।लेकिन,सबसे बड़ा बदलाव जो आया हैं।वह युवा वर्ग हैं।युवा वर्ग की सोच बदलते नज़रिये के कारण,आज हर त्यौहार सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के लिए मनाये जाते हैं।कोई भी त्यौहार हो।आज युवा वर्ग जुट कर चन्दा करते हैं।ढ़ेर सारा पैसा जुटाकर गली मोहल्ले में उत्सव की तैयारी करते हैं।पर,अधिकतर युवा त्योहारों में फिजूलखर्ची करते हैं।कई बार तो लड़ाई झगड़े भी हो जाते हैं।त्यौहार इसलिए नहीं मनाया जाना चाहिए कि सिर्फ मनोरंजन हो।यह त्यौहार जो मनाया जाता हैं।वह लोगों की आस्था,श्रद्धा और भक्ति से जुड़ा हैं।हर त्यौहार का अपना एक इतिहास हैं।लेकिन,युवा वर्ग धीरे-धीरे करके इस चीज को भूलते जा रहे हैं।आज एक दूसरे के दिखावे और मनोरंजन के लिए त्यौहार मनाने का रिवाज़ रह गया हैं।समाज में पढ़े लिखे होने के बावजूद,आज का युवा वर्ग बहुत कम ही सभ्य हो पा रहा हैं।भाषा संस्कृति सभ्यता को भूलकर पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित होते जा रहे हैं।किसी भी त्यौहार को मनाना बड़े ही गर्व की बात हैं।क्योंकि,त्योहारों के मनाने से पूर्वजों की परंपरा बनी रहेगी।लेकिन,कुछ बदलाव जो हो रहा हैं।वह धीरे-धीरे समाज से सभ्यता संस्कृति को विलुप्त कर रही हैं।इसके साथ ही युवा वर्ग और आने वाली पीढ़ी की मानसिकता बदल रही हैं।

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