संगीत के बिना मैं अधूरा हूँ-बिस्वजीत श्रीवास्तव
""संगीत ही मेरा जीवन हैं-बिस्वजित श्रीवास्तव""
भोजपुरी गायिकी में बिस्वाजित भले ही नया नाम हो।लेकिन,इन्होंने अपने आप को साबित किया हैं।जिसके कारण आज इनकी अपनी पहचान हैं।बिस्वाजित के परिवार में इनके दादाजी संगीत के काफी शौकीन थे।वे गाया बजाया करते थे।कभी-कभी बिस्वजित भी अपने दादा जी के संग चले जाया करते थे।धीरे-धीरे यह शौक इनके दादा जी की देख रेख में आगे बढ़ा।ये बचपन से ही स्टेज कार्यक्रम किया करते थे।साथ ही इन्होंने संगीत की शिक्षा भी बस्ताकोला झरिया निवासी मुन्ना गुरूजी से ली।जब गायिकी में निपुण हुए।तो चाचा राजेश श्रीवास्तव का इनको काफी सहयोग मिला।आगे चलके कई एल्बम भी किये।इनका पहला एल्बम 2014 में झकास म्यूजिक के बैनर से महिमा मईया के रिलीज हुई।फिर 2015 में चरनियाँ काली माई के और 2016 में काँवरियां बन ऐ देवरु रिलीज हुई।इन एल्बम से बिस्वजित को काफी प्रसिद्धि मिली।इन्होंने झारखण्ड में दारु बन्दी के लिए भी एक गीत झारखण्ड में दारू कब बन्द होइ हो गाया।जिसकी सफलता से चन्दा कैस्सेट्स ने बिस्वजित को 5 सालों के लिए साइन किया हैं।आगे भविष्य में इनका काम लगातार चलते रहना हैं।कई फ़िल्म में गाने के साथ साथ ये अभिनय भी करने वाले हैं।युवाओं के लिए इनका एक ही सन्देश हैं कि मेहनत करें और संगीत सीखे।झारखण्ड में काम करने का एक अच्छा माहौल बने।ताकि यहाँ के कलाकारों को काम के लिए बाहर नहीं जाना पड़े।
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