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Monday, April 10, 2017

निजी स्कूलों के शिक्षा के दुकान के जरिये हो रही अवैध वसूली के खिलाफ सख्त कानून होना चाहिए।

लगभग सौ वर्ष पूर्व भारतवर्ष में  सन 1993 में गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा प्रत्येक बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार बिल पारित किया गया था। लेकिन, भारतवर्ष की आजादी के बाद भी उसमें अधिक सुधार नहीं आ सका हैं।वर्तमान दौर में हमारे देश में हर वर्ष लाखों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित रह जाते हैं। उसमेें अभिभावकों की लापरवाही होती हैं।या फिर स्कूल संचालकों की मनमानी भी हो सकती हैं।निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से अधिक फीस होने के कारण अभिभावकों की मजबूरी भी हो सकती है। क्योंकि निजी स्कूलों के  संचालक तो खुद ही अपने नियम बनाकर शिक्षा के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं।   निजी स्कूल संचालक बुकसेलरों से बिकने वाले स्कूल कोर्सों पर चलाये जा रहे किताब कॉपियों से 50-60 प्रतिशित तक कमीशन ले लेते हैं।
               सरकारी स्कूलों के ढुलमुल रवैये और गैर सरकारी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के कारण सैकड़ों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित है। भारत के सभी राज्यों में जहाँ एक तरफ प्राईवेट स्कूल संचालकों की मनमानी व फीस के नाम पर अवैध वसूली से अभिभावक त्रस्त हैं तो वहीं सरकारी विद्यालयों के अध्यापक/अध्यापिकायें स्कलू में समय से पहुँचकर बच्चों केा शिक्षा देने के बजाय अपनी-अपनी आस्तीनें चढ़ाकर सरकारी कार्यालयों पर नेतागीरी कर रहे हैं ।तो कुछेक स्कूल में तो हाजिरी लगाने के बाद शिक्षक रफू चक्कर हो जाते है। निरंकुश निजी स्कूल संचालकों ने अपने स्वयं के नियम बनाकर विद्यालयों को शिक्षा की दुकान बनाकर अवैध वसूली करना शुरू कर दिया है। ये निजी संचालक अभिभावकों से स्कूल में हर तरह की सुविधाओं का वादा करके उनकी जेब को हल्का कर रहे हैं। सभी निजी स्कूलों द्वारा अपने स्कूल के कोर्स भी एक निश्चित बुकसेलर पर ही बिकवाये जाते हैं और उस कोर्स पर 50 से 60 प्रतिशित तक कमीशन खुद ही लेते हैं। ऐसे माहौल में गरीब तबके का अभिभावक अपने बच्चों केा उचित शिक्षा कैसे दिलाये?कई अभिभावक का कहना है कि उन्होंने सरकारी स्कूल में अपने बच्चे केा भेजा तो वहाॅ तो केवल भोजन के अलावा कुछ नहीं है और इसके अलावा प्राईवेट स्कूलों में भेजने के लिए उनके पास पर्याप्त धन नहीं है। ऐसी स्थिति में उन्होंने अपने आठ वर्षीय पुत्र को एक मोटर मिस्त्री के यहाॅ पर काम पर रख दिया है। यही कारण हैं कि हर चाय की दुकान से लेकर ढाबा एवं किराना आदि की दुकानों पर कई बच्चे काम करते हुए मिल जायेगा।पूरे भारत मे निजी स्कूलों के खिलाफ हर राज्य में सख्त कानून बनना चाहिए।साथ ही नियमों का पालन भी सख्ती से होना चाहिए।

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