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Saturday, May 20, 2017

झारखंड की बेटी छोटी सी उम्र में कोयला बेचकर परिवार का बोझ उठाने को हैं मजबूर।


प्रधानमंत्री और झारखण्ड के रघुवर सरकार का (बेटी बचाओ बेटी पढाओ) का मिशन विफलता की ओर।केंदुआ।भूली के वाल्मीकी नगर की 13 वर्षीय झाखण्ड की बेटी अंजलि श्रीवास्तव अपने छोटे से उम्र में परिवार का बोझ उठाने को मजबूर है। बताया जाता है कि पिता की असमय मृत्यु हो जाने के कारण पूरा परिवार भुख मरी के कगार पर आ गया। अंजलि  का दो बहन और एक भाई है। माँ दूसरे के घर में काम करती है। दोनों बहने कोयला बेचकर घर चलाती है तथा अपने भाई जो दोनों बहनो से बड़ा है, उसे स्नातक की पढाई भी करवा रही है।ज्यादातर सवाल पर सुनी आंखों से इधर उधर देखती है।उसने कहा किसे शौक है ? बचपन में खेलने  और पढाई करने के जगह कोयला बेचना मजबूरी हैं।पर ईश्वर को यही मंजूर था। आगे बताती है कि कोयला चुनने से लेकर मंजिल तक पहुंचने में क्या क्या जिल्लत सहना पडता है वो बताने के लायक नहीं है। आगे उम्मीद करती है कि कभी तो कोई मसीहा कि नजर मुझ अबला पर पड़ेगा। उसने ईश्वर से कामना कि, मेरी जैसी हालात किसी अबला को न दे। अब देखना होगा कब इस झारखंड कि इस अबला बेटी का बचपन लौटता है।

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