राष्ट्रहित में राजनीती होनी चाहिए
राजनेता और राजनीती ये दो शब्द ऐसे हैं।जिन पर सम्पूर्ण देशवासी निर्भर करते हैं।किसी भी देश की प्रगति और लोगों का विकास राजनेता व् राजनीती पर निर्भर होते हैं।शिक्षा,व्यवसाय,रोज़गार इस तरह के कई विषय हैं।जिन पर वर्षो से चर्चा होती रहीं हैं।पर लोगों के जीवन में कितना बदलाव आया है?यह आज भी हर किसी को नज़र आ रहा हैं।जब कभी भी चुनाव आता हैं।सभी राजनेता सक्रिय हो जाते हैं।वे अपने क्षेत्र का दौरा इस प्रकार करने लगते हैं।मानो अब जनता की तक़दीर बदल देंगे।सभी बड़े-बड़े वादे करते हैं।कई लोगों में जरुरी चीजों का वितरण करते हैं।लेकिन,जैसे ही चुनाव खत्म होता हैं।सभी राजनेता जनता को भूल जाते हैं।कई कभी-कभी अपने कार्यालयों में लोगों की समस्याएं सुनते हैं।तो कई यह कहकर पल्ला झाड़ देते हैं कि अभी उनके पास समय नहीं हैं।जब आपके पास लोगों के लिए ही समय नहीं हैं।तो फिर आप राजनेता क्यों बने हैं?आज राजनीती भी एक व्यवसाय बन गया हैं।जो भी राजनेता एक बार सत्ता में आते हैं।उनका बस एक ही उद्देश्य होता हैं कि जब तक वे सत्ता में रहें।वे खुद और अपने सगे संबंधियों का अधिक से अधिक लाभ कर सकें।राजनेता जिन मुद्दों का ऐलान कर चुनाव जीतते हैं।राजनेता बदल जाते हैं।पर मुद्दे वही के वही रह जाते हैं।बस थोडा बहुत अगर कुछ हो गया।तो उसे जनता अपना सौभाग्य समझती हैं।क्योंकि आम जनता अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जी ही लेती हैं।राजनेता और राजनीति इन दो चीजों में जब तक बदलाव नहीं आएगा।तब तक देश और जनता की प्रगति संभव नहीं हो सकती हैं।हर बदलाव जनता की जागरूकता से ही हुआ हैं।इस बदलाव की शुरुआत भी देशवाशियों को ही करनी चाहिए।हर इंसान अपनी जीविका चलाने के लिए कुछ न कुछ मेहनत का काम करता ही हैं।पर समय आज इतना बदल गया हैं कि अगर आप मजदूर से लेकर कोई भी बड़े पद का काम चाहते हैं।तो आपको शिक्षित होना जरूरी हैं।जैसा काम करने का पद होता हैं।उस हिसाब से शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की गयी हैं।लेकिन,अगर आप एक राजनेता बनना चाहते हैं।तो कोई शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण नहीं किया गया हैं।आखिर ऐसा क्यों?क्या देश चलाना नौकरी करने से ज़्यादा आसान हैं?अगर ऐसा नहीं हैं।तो फिर हर एक राजनितिक पद के लिए एक शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण होना चाहिए।चाहे वो पद एक पंचायत स्तर का हो या एक विधायक मंत्री अन्य का।सभी के लिए एक शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण होना चाहिए।क्योंकि जब देश में अब शिक्षा का स्तर बढ़ चूका हैं और पढ़े-लिखे युवाओं की कोई कमी नहीं हैं।इस वजह से राजनीती में भी अब जरुरत हैं कि शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण होना चाहिए।लगभग लगभग देश का हर राजनेता आज राजनीती लाभ के उद्धेश्य से ही कर रहा हैं।इसमें जनता की भूमिका सबसे अहम हैं।जब कभी भी चुनाव आता हैं।लोग लालच करते हैं।कई बार इस कारण से धन से सम्पन्न राजनेता जीत जाते है और जिनमे राजनीती का ज्ञान तनिक भी नहीं रहता हैं।जिसका खामियाज़ा जनता अपनी गलती का भोगती हैं।इसलिए हमेशा ईमानदारी से ईमानदार राजनेता का चुनाव करें।जब कभी भी आप चुनाव में मतदान करते हैं।तो आप सदैव एक ईमानदार और शिक्षित राजनेता का चुनाव करें।
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