पश्चिमी सभ्यता की और बढ़ते लोग
विश्व में भारत की पहचान एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में होती हैं।यहाँ की सभ्यता संस्कृति सम्पूर्ण संसार में प्रसिद्ध हैं।लेकिन,आज के समाज में रहने वाले आधुनिक लोग शायद धीरे-धीरे पश्चिमी सभ्यता की ओर खींचे जा रहें हैं।सभी अपनी संस्कृति सभ्यता और रीति-रिवाज़ को भुला कर एक अलग ही शुरुआत कर रहें हैं।भारत शुरू से ही सभी देशों का धार्मिक गुरु रहा हैं।सभी देश के लोग धर्म आस्था और मौक्ष की प्राप्ति के लिए भारत आते हैं।वे यहाँ मानसिक शांति के लिए भी आते रहे हैं।पर,आज यहाँ के वासी ही अपनी पहचान भूल कर औरों की संस्कृति को अपना रहे हैं।हमारे देश के लोगों का जीवन आज जिस तेजी से बदल रहा हैं।जिसमे कोई ठहराव ही नहीं हैं।मानो सभी को जल्दी-जल्दी सब कुछ पाने की अभिलाषा हैं।लोगो के खान-पान से लेकर बोलचाल पहनावा तक हर चीज में बदलाव आ चूका हैं।किन्तु,जो हमारा हैं ही नहीं।उस चीज को अपना कर अपनी पहचान खोना एक प्रकार की मूर्खता ही हैं।हमें अपनी सभ्यता संस्कृति को बढ़ाना चाहिए।ताकि खुद की पहचान बनी रहें।हमारें संस्कार परम्परा सब कुछ विलुप्त हो रहा हैं।एक दूसरे के संग रिश्तों में मिठास ग़ुम सी हो रहीं हैं।लोग वेद पुराण उपनिषद आदि धर्मग्रंथो का पठन पाठन कम कर रहे हैं।इस आधुनिक समाज में बड़े छोटो का कोई ताल मेल ही नहीं हो पा रहा हैं।इन सबका एक ही कारण हैं।लोगो का पश्चिमी सभ्यता की ओर झुकाव।हमे अपनी सभ्यता संस्कृति का प्रचार प्रसार करना चाहिए।साथ ही जो सही हैं।जिससे समाज के हित में कुछ अच्छा हो।उन्हीं तथ्यों को महत्व देना चाहिए।हमे ऐसी संस्कृति को नहीं अपनाना चाहिए।जो समाज को खोखला कर रही हो।जो हमारे अस्तित्व को मिटा रही हो।
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