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Monday, January 16, 2017

कलाकारों के एकता में ही झारखण्ड के फिल्म संगीत का विकास संभव हैं-गुड्डू जान

गुड्डू जान संगीत और फिल्म के क्षेत्र में एक ऐसा नाम जिन्होंने झारखण्ड फिल्म संगीत की दुनिया में एक गायक,गीतकार के रूप में अपने आप को स्थापित किये हैं।इतने सालों तक काम करने के बाद अब निर्देशन भी कर रहे हैं।इनके परिवार का माहौल शुरू से ही संगीतमय रहा हैं।इनके पिता जी स्व. श्री रासु लाल दास झूमर गायक रहे हैं।साथ ही इनके भाई भी माणिक लाल दास खोरठा गायक रहें हैं।जब गुड्डू जान की उम्र 13-14 वर्ष की थी।तभी इनके बड़े भाई खोरठा एल्बम बनाया करते थे।इस वजह से गुड्डू जान को संगीत विरासत में मिली।अपने पिता और बड़े भाई से ही इन्होंने बहुत कुछ सीखा।पारिवारिक दायित्व सँभालने से पहले ही इनके माता-पिता का देहान्त हो गया।कई नौकरियों का अवसर भी मिला।लेकिन,नौकरी न करके इन्होंने संगीत के क्षेत्र में ही काम करने की सोची।इनका पहला म्यूजिक एल्बम जान लवली म्यूजिक के द्वारा रिलीज़ किया गया था।इसके बाद मेगा म्यूजिक से कई एल्बम रिलीज़ हुए।मनमोहिनी,जान,सनम,प्यार के बंदन आदि कुछ सुपरहिट एल्बम हैं।अभी तक इन्होंने दर्जनों म्यूजिक एल्बम और 500 से भी ज़्यादा स्टेज शोज पुरे झारखण्ड बिहार बंगाल में कर चुके हैं।इनके बड़े भाई और पप्पू गुप्ता  का काफी सहयोग रहा।खोरठा भाषा गीत संगीत का क्षेत्र पुरे भारत में हैं।लोगो की धारन गलत हैं।अगर खोरठा भाषा में भी अच्छे काम हो।तो खोरठा भाषा को भी राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।इनकी पहली खोरठा फिल्म साजन थी।इसके बाद अभी कई आने वाली फिल्मों में काम चल रहा हैं।अभी हाल ही में माटी खोरठा फिल्म बनी।जिसके मुख्य कलाकार रमन गुप्ता,वर्षा ऋतु,वृज गोपाल,मोनिका मुंडु हैं।इस फिल्म में गीत मिलन व् गुड्डू जान ने लिखे हैं।इस फिल्म के गीतों को ज्योति साहू ने गायी हैं।झारखण्ड के कलाकारों में ज्ञान की बहुत कमी हैं।इसलिए सबसे पहले सीखे।जहाँ फिल्म का बाज़ार है।जहाँ फिल्म नगरी हैं।इन जगहों से अनुभव लेकर ही काम करें।बिना कुछ जानें या आधा अधूरा ज्ञान से कभी भी एक बेहतर फिल्म नहीं बनाई जा सकती हैं।झारखण्ड फिल्म तकनिकी सलाहकार समिति के बारे में इन्होंने कहा कि यह सरकार की एक अच्छी पहल हैं।कुछ लोग समर्थन कर रहे हैं।तो कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं।लेकिन,यह एक अच्छा काम हैं।सरकार ने जो भी कदम उठाया हैं।जो भी सुविधा फ़िलहाल मिल रही हैं।उसका लाभ उठाना चाहिए।बाकी बाद में जो कमी लगेगी।वह तो सलाह मशवरा से बदली जा सकती हैं।पर पहले बढ़िया काम करने में ध्यान दे।क्षेत्रीय कलाकार मिलकर एक कमिटी बना सकते हैं।जो यहाँ के टीवी चैनल,सिनेमाहॉल हैं।हर जगह आपस में बात कर के ही आगे की रणनीति बनाई जा सकती हैं।बशर्ते काम सही ढंग से हो।आज के युवा कलाकार साथ एकता बनाकर आगे बढ़े।ज़्यादा से ज़्यादा सीखकर सभी साथ मिलकर काम करें।तभी बेहतर काम होगा।झारखण्ड में भी फिल्म उद्योग का विकास होगा।संगीत और फिल्म तो गुड्डू जान के लिए ठीक वैसा ही हैं।जैसा उनका नाम।

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